Tuesday, February 10, 2015

श्री हनुमान स्तुति



 श्री हनुमान स्तुति
मंगलमूरति मारुतनंदन
।। राम श्रीराम श्रीराम सीताराम।।
.. मंगलमूरति मारुतनंदन अगमँहु सुगम बनाई ।
मुनि मन रंजन जन दुःख भंजन केहि बिधि करौं बड़ाई ।।
असहाय सहायक तुम सब लायक गुनगन यश जग छाई ।
अतिबड़भागी तुम अनुरागी रामचरन सुख दाई ।।
जनहित आगर विद्यासागर रामकृपा अधिकाई ।
बालि त्रास त्रसित सुग्रीव को राम से दिहेउ मिलाई ।।
भक्त विभीषन धीरज दीन्हेउ राम कृपा समुझाई ।
सिया सुख दीन्हेउ आशिष लीन्हेउ प्रभु सन्देश सुनाई ।।
बल बुधि धाम सिया सुधि लायउ रावन लंक जराई ।
वैद्य सुषेन सदन संग लायउ मूरि कहेउ जनु आई ।।
कालनेमि बधि लाइ सजीवन लक्षिमन प्रान बचाई ।
पैठि पताल अहिरावन मारेउ लायउ प्रभु दो भाई ।।
विजय संदेश सिया को दीन्हेउ सुनि अति मन हर्षाईं ।
बूड़त भरत विरह जल राखेउ आवत प्रभु बतलाई ।।
हाँक सुनत सब खल दल काँपैं छीजैं सुनि प्रभुताई ।
मैं मूढ़ मलीन कहँउ किम तव गुन शारद कहे न सिराई ।।
दीनदयाल भयउ तुलसी को तुमही नाथ सहाई ।
मम चित करउ कहँउ कर जोरे छमि अवगुन कुटिलाई ।।
स्वामिन स्वामि सिया रघुनाथ तव आरतपाल पितु-माई ।
रीति सदा जेहिं दीन को आदर कीरति जगत सुहाई ।।
दीनसहायक प्रिय रघुनायक मम हित बात चलाई ।
करुनासागर जन हित आगर अब न रखो बिसराई ।।
अघ अवगुन नहि देखि विरद निज करउ कृपा रघुराई ।
साधनहीन नहीं हित स्वामी भ्रमत है अकुलाई ।।
दीनबन्धु दीन संतोष की और विलम्ब किये न भलाई ।
असरन सरन एक गति तुमही राखो बाँह उठाई ।।
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_/\_ मारुति नंदन नमो नमः _/\_ कष्ट भंजन नमो नमः _/\_
_/\_ असुर निकंदन नमो नमः _/\_ श्रीरामदूतम नमो नमः _/\
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